उस तारीख से जुड़ी भारत की ऐतिहासिक कहानियां आज 30 अगस्त है और आज की तारीख का संबंध है चंद्रयान मिशन से शुरुआत 1969 से 20 जुलाई 1969 को अमेरिका का अपोलो 11 65 चांद पर उतरा और इसके चंद घंटे बाद ही नील आर्मस्ट्रांग और एडमिन बने चांद पर पहला कदम रखा चांद पर कदम चलने के बाद आर्मस्ट्रांग ने उनको एक संदेश भेजा वन स्मॉल स्टेप फॉर मैन एक्जाम इन दिल्ली फॉर माइंड का आदमी के लिए छोटा सा कदम मानवता के लिए एक बड़ी छलांग पहुंचना अमेरिका के लिए गर्व की बात थी लेकिन साथी पूरी दुनिया की खुशी में शामिल थी दुनिया के लिए आर्मस्ट्रांग और इंसान पर पहुंचे पहले मेरी कि नहीं पहले मानव थे पूरी धरती और पूरी मानवता को रिप्रेजेंट कर रहे थे लेकिन अब तब तक की रही जब तक वह चांद पर है चांद से लौटते हुए अपोलो 11 ने जैसे ही धरती के वातावरण में प्रवेश किया मानवता वाली पहचान नेपथ्य में चली गई और अब रह गए सिर्फ अमेरिकी पहचान दुनिया का कोई और देश अब इन शॉर्ट नोट्स को अपना नहीं कह सकता था उस समय दुनिया के दूसरे छोर पर स्थित -
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एक नया नया आजाद हुआ है देश अपनी जमीन टटोल रहा था अंतरिक्ष में इस देश को मां कहते हैं कैसे हो गया लेकिन मां कहते तो हैं पर अगर इस माह की अपनी कोई मां होती तो कह दे दुनिया चांद पर पहुंच गई है तुम क्या कर रहे हो रहे हो रहा था भारत कर रहा था तैयारी तैयारी जिसके फलस्वरूप सिर्फ 40 सालों में वह चांद पर पहुंचने वाला चौथा देश बना चंद्रयान की बात कर रहे हैं 2019 में लांच पर दूसरे चंद्रयान मिशन के बाद इसे चंद्रयान-1 के नाम से जाना जाता है इस मिशन की शुरुआत हुई 1999 से इस साल इंडियन एकेडमी ऑफ साइंस की बैठक में पहली बार इस पर बात हुई इसके बाद विश्व में मून मिशन को लेकर परीक्षण आदि शुरू किए मिशन का आधिकारिक ऐलान हुआ 4 साल बाद 15 अगस्त 2003 को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई लाल किले की प्राचीर से कहते हैं कि भारत चांद पर एक मिशन भेजेगा मिशन को नाम दिया गया चंद्रयान ऐलान हो चुका था लेकिन काम आसान नहीं था दुनिया में इस तरह के मैसेज बहुत कम हुआ करता था मिशन बहुत मुश्किल था और धरती से चांद की दूरी 3.87 किलोमीटर है 380000 किलोमीटर इंटरप्लेनेटरी में धरती की कक्षा से किसी उपग्रह को बाहर भेजा जाना था 4 साल 386 -
करोड रुपए की लागत और वैज्ञानिकों की जी तोड़ मेहनत के बाद पुदीना फिर आएगा तारीख से 22 अक्टूबर 2008 जगह सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा सुबह के 5:00 बज रहे हैं वैज्ञानिकों की टीम रात भर जगे हुए हैं पिछले 3 दिनों की भारी बारिश के बाद आज मौसम साफ है चंद्रयान को पीएसएलवी सीटों के द्वारा लांच किया जाना है जिसे इसरो का वर्क और तब भी कहा जाता था आज भी कहा जा सकता कहा जाता है जीएसएलवी के आने के बाद इनाम मिला अपनी कंसिस्टेंसी के कारण 1994 से लेकर 2017 तक पीएसएलवी 49 भारतीय उपग्रहों को और 209 विदेशी उपग्रहों को लांच कर चुका है हमारा भी काम होता है फोन चेंज किया था जब हम दूसरे के बकरे बेचते हैं और सभी वैज्ञानिकों के माथे पर चिंता चिंता की लकीरें कुछ और गहरी हो जाती हैं लॉन्च विंडो के लिए सिर्फ आधे घंटे का समय नियत है कि जांच करने के लिए जाती है भगवान का आशीर्वाद पूछने में सब कुछ ठीक हो जाता है और 6:22 पर पीएसएलवी सी टू चंद्र यान को लेकर उड़ान भरता है हम जानबूझकर भगवान क्यों बोल रहे हैं ज्ञान का काम अधूरे से सुनिए जो इस मिशन के डायरेक्टर थे बताते हैं उस दिन वह शायद ही कोई कंप्यूटर मॉनिटर था जिस -
पर किसी देवी देवता की तस्वीर सब लोग अपने हाथ जोड़कर अपने इष्ट से प्रार्थना कर रहे थे तिरुपति के वेंकटचलपति मंदिर से प्रसाद के लड्डू भी मजा आएगा आपको पिक्चर से याद कीजिए जब शस्त्र पूजा की थी तब के डिफेंस मिनिस्टर अभी के अभी हैं राजनाथ सिंह ने रफाल की और तब इस को कॉल करने के लिए इस्तेमाल किया गया तुम तस्वीर को लोगों ने पूछा था कि क्या वह फाल्के कांच पर नारियल लेकर मारा जाएगा तब एक बार अनएक्सपेक्टेड जगह से राजनाथ को और इस परंपरा को डिफेंस मिला था आसिफ गफूर इस व्यक्ति का नाम आपने खूब सुना होगा जब विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय था अब वह आईएसपीआरपी तब बिजी होते थे उनके देर रात के ट्वीट खूब फेमस है !
उनका अपना वजन होता है और इसी लिए यह परंपरा का मसला है और अगर कोई चीज किसी को मोटिवेट करती है तो उस छोटे-छोटे पूजा में कोई प्रॉब्लम नहीं है वापस आते हैं कोई ज्योतिष आपकी मदद करें बापू करनी चाहिए अपना मकसद हासिल करने में रिलेशन है तो भी चलेगा चाहे मामला साइंस का सिर्फ शुरुआत थी अगले कुछ दिनों तक वैज्ञानिकों ने पर नजर बनाए रखें जान को चंद्रमा तक पहुंचने में पूरे 17 दिनों का वक्त लगा नवंबर 8 2008 को चंद्रयान ने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया और बेटे को चांद के कक्षा में रहना था और एमआईपी को चांद की सतह से टकराना था और बेटा जब चांद की कक्षा में स्थापित हो गया था तो मिशन का दूसरा हिस्सा शुरू हुआ इसके तहत एमआईपी को आर बेटर से अलग होकर चांद की सतह की तरफ भरना था फिर टकराना था जाना था चांद के दक्षिणी ध्रुव पर क्यों ऐसा यह बताते हैं दरअसल में कई सारे क्रेटर मौजूद हैं करोड़ों साल सूरज की रोशनी इंट्रॉयटस तक नहीं पहुंच पाई है वैज्ञानिकों का अंदेशा है कि चंद्रमा के बनने के दौरान इससे पर जमीन पर अभी तक मौजूद हो सकती है 18 नवंबर 2008 को हॉस्पिटल से अलग होकर चांद की सतह से टकराया इस दौरान को - क्रेटर की सत्ता के काफी अंदर तक पहुंचा जहां से उसने ऑर्बिटल को जरूरी डेटा भेजना शुरू किया अगले 312 दिनों तक ने चंद्रमा की चौथी सबसे ज्यादा परिक्रमा है कि इस दौरान वैज्ञानिकों को बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारियां हाथ लगी मसलन चांद की सतह पर मैग्नीशियम एलुमिनियम और सिलिकॉन की मौजूदगी मैपिंग औरतों को कैसे की मदद से चंद्रमा का वैश्विक मानचित्र तैयार किया गया जो इस मिशन की एक और बड़ी उपलब्धि थी लेकिन की सबसे बड़ी सफलता का ऐलान बाकी का ऐलान से पहले ही चंद्रयान में कुछ तकनीकी खराबी आ गई और उसने डाटा भेजना बंद कर दिया आज के दिन यानी 30 अगस्त 2009 को सोने चंद्रयान मिशन को बंद करने की घोषणा की 2 साल की अवधि तक चलना था जिसे चंद्रयान पूरा नहीं कर पाया इसके बावजूद इसमें मिशन के 95 प्लांट जैक्ट्रेस को सफलतापूर्वक अंजाम दिया कि हायर एजुकेशन रिमोट सेंसिंग उपकरणों की मदद से एमआईपी ने जो डाटा भेजा था उसे वैज्ञानिकों का अंदेशा सही साबित उसने किया पहली बार में चंद्रमा तक पहुंचने में सफल हुआ था बल्कि उसने चांद पर पानी की खोज भी कर डाली से ले जाने को लेकर दुनिया मजाक उड़ाती थी उसमें नेशन के क्षेत्र में एक नया फ्रंटियर - खोल दिया था कि सफलता ने इसरो के हौसले को बुलंद किया चंद्रयान-1 की सफलता नहीं मंगलयान और चंद्रयान 2 मिशन की नींव रखी 2017 में दोबारा पिक्चर में आया उस दिन ऑफ नासा एक इंटरप्लेनेटरी रेट और टेक्नोलॉजी का परीक्षण कर रहा था अंग्रेजी इंटरप्लेनेटरी मतलब दो ग्रहों के बीच रिजॉर्ट नॉलेजी का परीक्षण कर रहा था लाखों में एक दो एस्टेरॉइड्स को खोजने के काम में इस्तेमाल की जानी थी इस दौरान वैज्ञानिकों को चांद के ऑर्बिट में घूमती है इसके सिग्नल मिले पता चला था अभी भी वहीं मौजूद था !
इस प्रोग्राम आज पूरी दुनिया में एक अलग स्थान बनाए हुए हैं फिर चाहे वह सबसे कम लागत पर चांद में पहुंचना हो या फिर मंगल में चंद्रयान 3 लॉन्च किया जाना है और 2024 में मंगलयान का फेस 2 शुरू होगा बड़े-बड़े संस्थान हैं जिन्होंने भारत की तरक्की में अग्रणी भूमिका निभाई है लेकिन इस रूट की उपलब्धियां केवल भारत की नहीं बल्कि समूची दुनिया की है इसी तरह बाकी दुनिया में जितने भी स्पेस एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम चल रहे हैं उन सभी की सफलता में भी भारत का हिस्सा है भारत भाग्य दार रहा है 5 साल पहले जब पहली बार अलमस्त नेमार की बात की थी तो लोगों ने उन्हें - सनकी कहा था 2021 में हम बात कर रहे हैं सन 2000 में गुजरात से इस बारे में पूछा जाता तो कहते चांद पर रुकना आगे खड़ा है ठंडी फिजा है लेकिन आज लगभग सभी लोगों को लगता है कि भविष्य में 50 साल आगे की बात हो पर इंसान जरूर एकदम मास्टर कॉलोनी बना लेगा मान लीजिए किसी दिन आरक्षण देते हुए खुद को अमेरिकी भारतीय चीनी या रशियन या पाकिस्तानी बताएंगे नहीं उस दिन हम बात सिर्फ धरती वासी के रूप में करेंगे और हमारे इंट्रोडक्शन होगा सिर्फ एक माना हाल के दिनों में आपने सुना होगा अमेजॉन के मालिक रिसोर्स और ग्रुप के मालिक रिचर्ड निक्सन अंतरिक्ष की सैर करके आए हैं हो सकता है किसी दिन हमने मार्च की यात्रा पर निकले और चंद्रमा पर फ्यूल भरने के लिए रुके !
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